गुरुवार, 25 जून 2020

Corona Kit : Coronil, क्यों है विवादो में?

Corona Kit : Coronil, क्यों है विवादो में?

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कोई  भी आयुर्वेदिक दवा की इतनी चर्चा में नहीं रहीजितनी पतंजलि की कोविड-19 के Corona Kit रही है। अभी हाल में ही पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने कोरोनावायरस के लिए Corona Kit launch की  है जिसकी कीमत 545/- रुपये  है।  इसमें Coronil टेबलेट  के अलावा श्वासारि और अनु तेल भी है अनु तेल इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करता है और श्वासारि Respiratory System को ठीक करता है।  यह मुख्यता मिनरल्स और हर्ब से ही बना हुआ है।  पतंजलि ने दावा किया है कि 3 से 14 दिन के अंदर 100% कोविड-19 के मरीज ठीक हो सकते हैं।

इसके लिए उसने बताया है कि देश के विभिन्न शहरो  में Evidence Trail और Clinical Trail Study किया  गया है, और trail के सभी मापदंडो को पूरा किया गया है। बाबा रामदेव बार-बार इस चीज पर ज्यादा जोर दे रहे हैं कि यह इममुनिटी बूस्टर नहीं, बल्कि कोविड 19 की दवा है।

 लेकिन इस पर इतना विवाद क्यों है? जैसे ही पतंजलि का Corona Kit का एडवर्टाइजमेंट आया, उसके कुछ देर बाद ही आयुष मंत्रालय ने एक क्लेरिफिकेशन जारी किया। उसने कहा कि पतंजलि  इस ड्रग लाइसेंस को  apply करते समय कोविड-19 की दवा  का उल्लेख नहीं था और  इस दवा के launch  के बाद पतंजलि को उसके एडवर्टाइजमेंट को रोकने के लिए कहा गया। फिलहाल इसे बाज़ार में आने से रोक दिया गया है। 


किसी भी मेडिसिन के मार्केट में आने की प्रक्रिया को देखी जाए तो तो उसे एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, इसमें 10 से 12 साल का भी समय लग सकता है।  उसके बाद ही उस मेडिसिन को बाजार में बेचने की अनुमति मिलती है। जहां पतंजलि यह दावा कर रही है कि उसमें  सभी नियमों का पालन किया है तो फिर चूक कहां हुई है?

किसी भी दवा के बाज़ार मे आने से पूर्व Clinical trail या अन्य सभी प्रक्रियावो का पूर्ण रूप से पालन होना आवश्यक है, अन्यथा वह दवा लाभ देने के स्थान पर हानि पहुँचा सकती है। अगर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की यह दवा अगर प्रक्रिया का पालन नहीं की हो तो इसे बाज़ार मे आने से रोक देना चाहिए।  

अगर दवा बनने की निर्धारित  प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, तो आलोचना वाजिब है। लेकिन इस आड़ में बाबा रामदेव या पतंजलि संस्थान या आयुर्वेद का मज़ाक उड़ाना, पूर्वाग्रह प्रदर्शित करता है।  वर्तमान समय में एलोपैथी पूरे विश्व में एक सबसे बड़ी  व्यवस्थित चिकित्सा प्रणाली है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आयुर्वेदिक चिकित्सीय प्रणाली इससे कमतर है। 

 आयुर्वेद, चिकित्सा की सबसे पुरानी प्रणालियो में एक है, जो धीरे-धीरे भारत में ही पूर्ण रूप से ही है विकसित हुई है। यह लोगों को निरोग रखता है, उन्हे रोग मुक्त और उनकी आयु बढ़ाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा से  शरीर के साथ साथ मानसिक सुधार भी होता है। भारत में चरक एवं सुश्रुत जैसे महान आयुर्वेदाचार्य हुए हैं जिसने आयुर्वेद को और अधिक समृद्ध किया है। 

आयुर्वेद कई मामलों में काफी विकसित चिकित्सा प्रणाली मानी जा सकती है क्योंकि इसमें मनुष्य की प्रकृति के अनुसार बीमारी की पहचान कर उसका निदान किया जाता है मुख्यतः मनुष्य के तीन प्रकृति बताई जाती है, कफ, पित्त और वात, इन तीनों में संतुलन रहना चाहिए और इनके असंतुलन से ही सारे रोग उत्पन्न होते है।आयुर्वेदिक औषधि का व्यावहारिक रूप से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यह रोग के निदान के साथ साथ मनुष्य की immunity (रोग प्रतिरोधक क्षमता) भी बढाता  है। 

लेकिन वर्तमान समय में हमारी पूरी चिकित्सा पद्धति एलोपैथी पर ही केंद्रित रही है इस पर ही सारा रिसर्च होता है इस पर ही इन्वेस्टमेंट होता है, तो यही दवाइयों को authentic (सच्चा)  माना जाता है।  एलोपैथी के आगे अन्य सभी चिकित्सा प्रणाली कमजोर पड़ती गई, अन्य चिकित्सीय प्रणाली में नई दवाइयाँनई बीमारियों पर उनका असर, इस तरह की कोई भी रिसर्च या clinical trail  (क्लीनिकल ट्रायल) नहीं होते हैं, जिस कारण लोगों का विश्वास नहीं हो पता है। 

 लेकिन इन दिनों बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड  ने  आयुर्वेद को पुनः revive (रिवाइव) किया है। उसने विभिन्न बीमारियो के लिए काफी संख्या में आयुर्वेदिक उत्पाद बाज़ार में लाया है एवं आयुर्वेद को जीवन पद्धति में शामिल कर रहे है।  लोग अपनी कई बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक दवाओं की ओर रुख कर रहे हैं। वर्तमान समय में हम लोग अश्वगंधा, गिलोय आदि के लाभदायी गुणों  से परिचित हो चुके हैं । 

ऐसा नहीं है कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ही केवल आयुर्वेदिक दवाई बनाती है इसके पहले से ही कई बड़ी-बड़ी कंपनियां बाजार में मौजूद थी, लेकिन पतंजलि अपने बेहतर ब्रांडिंग और  एक्सक्लूसिव स्टोर के कारण हर जगह अपनी पहुंच बना चुकी है।  बाबा रामदेव योग और आयुर्वेद का ब्रांड बन चुके हैं, उसने आयुर्वेद उपचार पद्धति को एक बड़े स्तर तक ले जा चुके है। लोग अपनी immunity के  लिए एवं अन्य बीमारियो के लिए आयुर्वेदिक औषधि का पहले की तुलना में काफी अधिक मात्रा में प्रयोग कर रहे है। 

 Corona Kit कितनी प्रभावी है covid-19 से लड़ने में या तो वक्त ही बताएगा, लेकिन आयुर्वेद में किसी नई बीमारी के प्रति नए रिसर्च और दवा बनाने की कोशिश  आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली को और मजबूत करेगा।

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