क्या Boycott China (बॉयकॉट चाइना) कर पाना संभव है?
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Is boycott china possible? |
आर्टिकल 370 के समाप्त होने के बाद यूनाइटेड नेशन (UN) में मलेशिया के राष्ट्रपति महातीर मोहम्मद अपनी speech (भाषण) में कहते हैं कि जम्मू कश्मीर पर भारत ने अवैध कब्जा कर रखा है। फिर जब भारत में नागरिकता संसोधन अधिनियम (Citizen Amendment Act) पारित हुआ, तभी उसने कहा कि भारत मुसलमानों की नागरिकता छिन रहा है, इस तरह से वह हाल के दिनों में भारत के विरुद्ध काफी मुखर रहे थे। भारत ने इसे मलेशिया का भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताया, इसके बाद से भारत मलेशिया के साथ अपने व्यापारिक रिश्तो पर लगाम लगाने लगा।
मलेशिया Palm Oil (पाम ऑयल) का भारत का
सबसे बड़ा एक्सपोर्टर
था और मलेशिया के लिए भारत सबसे बड़ा बाज़ार। सीमा शुल्क
नियमों में बदलाव एवं भारतीय खरीददारों के बहिष्कार से पाम ऑयल
का मलेशिया द्वारा भारत में एक्सपोर्ट करना लगभग असंभव हो गया, जिसके
बाद महातिर मोहम्मद के तेवर ठंडे पड़े और उसने भारत से और अधिक
मलेशिया में आयात करने की
बात कही, लेकिन इससे भी जब स्थिति नहीं बनी, तब राष्ट्रपति महातिर
मोहम्मद को इस्तीफा देना पड़ा, फिर नए राष्ट्रपति ने वहां पर पद ग्रहण किया। उसके बाद फिर
से आयात के नियमों पर ढील एवं भारतीय खरीददारों
द्वारा बहिष्कार बंद किए जाने से मलेशिया से Palm Oil का आयात पहले की
तरह शुरू हो गया।
जब से गलवान
घाटी में भारत और चीन का संघर्ष बढ़ा है तब
से Boycott
China (बॉयकॉट चाइना) का स्लोगन मुखर कर सामने आया है। मलेशिया जैसे छोटे देश के साथ आर्थिक
बहिष्कार से हित साधा जा सकता है, लेकिन क्या ये यह चीन
जैसे ताकतवर देश के साथ apply (लागू) किया जा
सकता है?
वैसे Boycott China
(बॉयकॉट चाइना) का स्लोगन नया नहीं है पहले भी स्वदेशी जागरण मंच
और बाबा रामदेव काफी मुखर रूप से करते आए हैं, और जब भी पाकिस्तान द्वारा आतंकी घटना
होती है तो पाकिस्तान के साथ चीन का भी विरोध भारत में होता है
क्योंकि चीन, पाकिस्तान का सबसे नजदीकी मित्र है। लेकिन इस समय परिस्थितियां कुछ
बदली हुई है, लद्दाख के सोनम वांगचुक के Boycott China (बॉयकॉट
चाइना) के आह्वान पर भारत में काफी तेज प्रतिक्रिया देखी जा रही है और 20
भारतीय सनिकों के शहीद होने पर यह चीन के विरुद्ध sentiments काफी मजबूत
है।
वैसे देखा जाए तो Boycott China
(बॉयकॉट चाइना)का आह्वान फिलीपींस, वियतनाम
और यहां तक की अमेरिका (US) में भी देखा जाता रहा है। वियतनाम और फिलीपींस के
साथ चीन का सामरिक एवं सीमा विवाद रहा है, लेकिन
अमेरिका के साथ व्यापारिक एवं सामरिक
दोनों है। अमेरिका (Human Rights) मानवाधिकार, (Animal Cruelty)
जानवरो पर अत्याचार, अल्पसंख्यक धार्मिक समूहो पर
अत्याचार और अभी हाल में ही COVID-19 (कोविड-19) के कारण कई सारे प्रतिबंध
लगाया है और लगाता रहा है। इससे पहले भी जब 2008 में चाइनीस दूध स्कैंडल हुआ था जिसमें दूध में Melamine (मेलामाइन) जैसे
हानिकारक जहरीले तत्वों मिलाया गया था उस समय से पूरा
विश्व चीन से खाद्य पदार्थ खरीदने से डरते रहे हैं।
अब प्रश्न यह है, कि क्यापूर्ण रूप से चीन का बहिष्कार किया जा सकता है?
पूर्ण
रूप से चीन का बहिष्कार फिलहाल नहीं किया जा सकता है, अभी भी कई सारी ऐसी वस्तुएं (खास कर इलेक्ट्रॉनिक्स) हैं, जिसका
उत्पादन (manufacturing) भारत में नहीं होता है और भारत चीन पर निर्भर
है।
लेकिन धीरे-धीरे चीनी सामानो को
replace
(रिप्लेस) जरूर किया जा सकता है, ताइवान, साउथ
कोरिया, वियतनाम और जापान के उत्पादित सामानों
से। ये सभी देश
भी इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में तकनीकी रूप से चीन से बराबर या आगे है इस एक उदाहरण
से समझते हैं जैसे Laptop (लैपटॉप) के
क्षेत्र में ताइवान की कंपनी ASUS काफी अच्छा ब्रांड है, उसी तरह
से मोबाइल के क्षेत्र में दक्षिण
कोरिया की Samsung
Android में सबसे बढ़िया ब्रांड है।
Android में सबसे बढ़िया ब्रांड है।
चीनी वस्तुएं खासकर
इलेक्ट्रॉनिक काफी सस्ते होते हैं अगर भारत इन चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करता है, तो शुरू
में तो काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है लेकिन लंबे समय के लिए देखा जाए तो जब इन
वस्तुओं की कमी होगी तो बहुत सारी अन्य कंपनियां उन वस्तुवों के
लिए भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग
यूनिट लगाने लगेगी क्योंकि
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, पांचवी सबसे
बड़ा अर्थव्यवस्था है, और दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है। जिसका
फायदा निश्चित रूप से भारत को होगा।
Boycott China (बॉयकॉट
चाइना) अगर ठीक से काम कर गया तो भारत को काफी फायदा हो सकता है। भारत का चीन
से आयात कुल आयात (import) 16% और चीन को निर्यात का कुल निर्यात से 4% ही
है, जिससे भारत को trade deficit का सामना
करना पड़ता है। अगर चीन से आयात को भारत मेँ निर्मित वस्तुवों द्वारा कम कर पाते है
तो भारत का GDP बढ़ जाएगा।
लेकिन क्या इस Boycott China (बॉयकॉट चाइना) से डर कर चीन अपने पैर पीछे कर सकता है?
जिस तरह से भारतीय सरकार सरकारी क्षेत्र में सभी चीनी कंपनियों के उत्पादो
को बाहर कर रही है और लोगों
का सेंटीमेंट्स चीन के विरुद्ध काफी मजबूत होता जा रहा
है, आने
वाले समय में चीन को इस बहिष्कार से निश्चित रूप से नुकसान झेलना पड़ेगा क्योंकि
चीन के लिए भारत एक बड़ा मार्केट है और चीन की economy (अर्थव्यवस्था) manufacturing based (मैन्युफैक्चरिंग
बेस्ड) है. इधर देखा जाए तो लगभग पूरे
विश्व में चीन के विरोध में सभी लामबंद हो रहे हैं, जिससे
चीन को काफी नुकसान हो रहा है।
चीन भी निश्चित रूप से इस
लामबंद को कम करने का प्रयास कर सकता है, जो
फिलहाल भारत को डराकर तो नहीं किया जा सकता है। (US ) यूएस
और भारत जैसे दो बड़े मार्केट में अगर उनकी उपस्थिति कम होती है, तो यह
उसके लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा जो उसके पूरे अर्थव्यवस्था पर असर डालेगा। अगर
भारत इस तरह का strong sentiments (स्ट्रांग सेंटीमेंट) लगातार
काम करता गया तो निश्चित रूप से चीन को हानि होगी और वह भारत के प्रति अपने रुख
में बदलाव जरूर करेगा। लेकिन तब तक भारत अपने चीन से होने वाले आयात को काफी
हद तक कम कर “आत्मनिर्भर भारत” की और बढ़ चुका जाएगा।
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