मई को करीब 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के गेलवान वैली में झड़प होती है, उसके बाद 9 मई को उत्तरी सिक्किम में भी इसी प्रकार की झड़प होती है। उसके बाद से ही भारत और चीन के बीच का सीमा विवाद फिर से उभर कर सामने आता है।
वर्तमान तनाव की वजह में भारत का पूर्वी लद्दाख में दर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड है। यह सड़क गेलवान वैली से गुजरती है जहाँ चीन भारत के सड़क निर्माण के कार्य को रोकना चाहता है और LAC के पार भी अपना दावा ठोकता है।
LAC (line of actual control) भारत और चीन के लद्दाख में अस्थायी सीमा का कार्य करता है जैसा भारत और पाकिस्तान के बीच में कश्मीर में LOC अस्थायी रूप से सीमा का निर्धारण करता है।
इस तनाव के अगली कड़ी के रूप के प्योंगयांग झील के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प और चीन द्वारा अपने सैनिकों का जमावड़ा करना रहा।
पयोग्योंग झील 134 km लंबा झील है जिसका 40 % भारत के पास है और बाद बाकी चीन के कब्जे में है। गेलवान वैली लगभग 200 km दूर है।
इसी क्रम में चीन प्योंगयांग झील से नजदीक अपने एयरबेस में फाइटर प्लेनो को तैनात करते है। इसी बीच 25 मई को चीन के प्रेजिडेंट शी जिंगपिंग अपनी सेना को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने को कहते है, जिससे तनाव अपने चरम पर पहुँच जाता है, फिर दूरसे ही दिन चीन अपने सभी मामलों को शांतिपूर्ण बातचीत से सुलझाने की बात करता है।
ये थी अब तक का घटनाक्रम , जहाँ से यह शुरू होता है और भारत की स्थिति वहाँ अब भी वही है जो पहले थी, अर्थात रोड बनाने का कार्य जारी है, भारतीय सैनिक एक कदम भी पीछे नही हटे है।
यह सीमा झड़प 2017 के डोकलाम झड़प के बाद से सबसे बड़ा है। महीनों के तनाव के बाद भी डोकलाम में भी भारत अपने स्टैंड पर कायम रहा। यहाँ भी वही होने वाला है। चीन और भारत के बीच किसी भी कारण से युद्ध होने की संभावना काफी कम है, युद्ध से दोनों देशों को नुकसान पहुँचेगा जिसे दोनों नही चाहते है।
अब इस बात पर ध्यान देते है कि ये सीमा विवाद कैसे हुआ एवं क्यों अभी तक यह समाप्त नही हुआ है। इसे जानने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा।
70 साल पहले भारत और चीन के बीच कोई सीमा नही लगती थी, भारत और चीन के बीच तिब्बत नामक देश था। भारत एवं तिब्बत के बीच मेक मोहन लाइन थी, जो दोनों देशों की सीमा का निर्धारण करती थी।
1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया और तिब्बत की पूरी की पूरी सरकार और धर्मगुरु ने वहाँ से भागकर भारत में शरण ली। तिब्बत को कब्जे करने के बाद भी चीन की विस्तारवादी नीति कम नही हुई बल्कि और बढ़ गई। 1962 में चीन ने लद्दाख के अक्साई चीन और आसाम पर हमला करके एक बड़ा भू भाग कब्जा कर लिया, तब से ही लद्दाख का एक तिहाई हिस्सा चीन के पास है। इसके बाद भी चीन पूरे लद्दाख पर अपना दावा करता है।
भारत और चीन के सीमा विवाद को सुलझाने के लिये बैठकें होती रहती है। हाल फिलहाल में ही चीन ने सिक्किम को भारत का अभिन्न अंग माना, जिस पर वह पहले अपना दावा प्रस्तुत करते थे। फिलहाल अरुणाचल प्रदेश को लद्दाख पर चीन अपना दावा ठोकते है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें